सावित्रीबाई फुले
- सावित्रीबाई फुले एक कवि और समाज सुधारक थी जिन्होंने ब्रिटिश शासन के दौरान महिलाओं की शिक्षा और महिलाओं के अधिकारों के सुधार को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
- वह अक्सर, “पहली पीढ़ी के आधुनिक भारतीय नारीवादियों में से एक” के रूप मे वर्णित है।
प्रारंभिक जीवन (Read in English)
- सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी, 1831 को नायगाव, महाराष्ट्र में हुआ था।
- वह एक दलित किसान परिवार से थी।
- नौ वर्ष की उम्र में उन्होंने 12 साल के ज्योतिबा राव से शादी की थी।
- ज्योतिबा फुले एक प्रख्यात समाज सुधारक, विचारक, लेखक और एक भारतीय कार्यकर्ता थे।
- दंपती का अपना खुद का एक भी बच्चा नहीं था। हालांकि, उन्होंने एक विधवा ब्राह्मण के बेटे यशवंतराव् को गोद लिया।
- ज्योतिबा राव ने उसे पढ़ना और लिखना सिखाया और उसे एक शिक्षक होने के लिए प्रशिक्षण प्रदान किया।
उनके महत्वपूर्ण कार्यों में शामिल कुछ निम्न हैं
शिक्षा
- उन्होंने अपने पति के साथ वर्ष 1848 में भिड़े वाडा, पुणे में पहली बार महिलाओं के लिए स्कूल की स्थापना की। महिलाओं के लिए कुल 18 स्कूल इस दंपति द्वारा स्थापित किया गया।
- वह पहली महिलाओं के स्कूल की पहली महिला शिक्षक थी।
- इस दम्पत्ति ने शिक्षा और ज्ञान का प्रसार करने के लिए कड़ी मेहनत की।
- उन्होंने निम्न जाति के छात्रों के लिए पहला देशी पुस्तकालय खोला।
बाल विवाह के खिलाफ
- बाल विवाह और मृत्यु दर दोनों की उच्च दर के कारण 19 वीं सदी के दौरान प्रचलित बाल विधवाओं के सिर मुड़ाने की प्रथा के लिए उन्हें मजबूर किया जाता था, उन्होंने इस प्रथा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया और नाइयों के खिलाफ एक हड़ताल का आयोजन किया।
- उन्होंने 1853 में, गर्भवती बलात्कार पीड़ितों के बच्चों को जन्म देने में मदद करने के लिए “बाल हत्या प्रतिबंधक गृह” (शिशु हत्या निषेध हाउस) नामक एक केयर सेंटर खोला। यह उन्हें समाज के डर की वजह से बच्चे का गर्भपात या आत्महत्या करने के लिए मजबूर किये जाने से रोकने के लिए था।
जातिवाद के खिलाफ
- उन्होंने पीने का पानी उपलब्ध कराने के लिए अपने घर में एक कुएं का निर्माण किया जो उन तथाकथित उच्च जातियों द्वारा उन्हें इससे वंचित करवा रहे थे ।
- उन्होंने जाति और लिंग के आधार पर, सती प्रणाली, बाल विवाह पर लोगों के भेदभाव को खत्म करने के लिए भी काम किया।
- उन्होंने विधवा पुनर्विवाह को बढ़ावा दिया।
- उन्होंने 24 सितंबर 1873 को सत्यशोधक समाज की स्थापना की।
- ज्योतिबा राव की मृत्यु के बाद सावित्री बाई ने इसका कार्यभार संभाल।
- इस संस्था ने कम से कम खर्च में कोई दहेज के बिना तथा ब्राह्मण पुजारियों की उपस्थिति के बिना विवाह की व्यवस्था की।
- इस तरह की पहली शादी 25 दिसंबर 1873 को हुई थी।
- उन्होंने अपने बेटे यशवंतराव के लिए एक अंतर-जातीय विवाह की व्यवस्था की।
- यह आधुनिक भारत का पहला अंतर्जातीय विवाह था।
बाद का जीवन
- 1890 में ज्योतिबा राव फुले की मौत के बाद उन्होंने अपने दिवंगत पति के अधूरे एजेंडे को पूरा करने का फैसला किया।
- उनके बेटे की क्लिनिक में प्रभावित रोगियों की देखभाल के दौरान प्लेग के सम्पर्क में आने के कारण वर्ष 1897 में उनकी मृत्यु हो गई।
सावित्री बाई को श्रद्धांजलि
- पुणे विश्वविद्यालय का नाम हाल ही मे, “सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय “कर दिया गया ।
- उनकी कविताओं की दो पुस्तकें, मरणोपरांत प्रकाशित किए गए थे- काव्या फुले (1934) और बावन काशी सुबोध रत्नाकर (1982)।
- महिलाओं को समाज सुधारकों के रूप में पहचान के लिए उनके बाद एक पुरस्कार महाराष्ट्र सरकार द्वारा नामित किया गया है।
- उनका सम्मान करने के लिए 1998 में एक डाक टिकट भी भारतीय डाक द्वारा जारी किया गया था।