जल्लीकट्टू क्या है?
- यह शब्द दो शब्दों से उत्पन्न है-‘जल्ली’ और ‘कट्टु’ ।
- ये सांड के सींग से बंधा हुआ सोने या चांदी के सिक्के को अंगित करते है।
- इस खेल के तीन प्रकार है:
- एक व्यक्ति एक निर्धारित समय या दूरी के लिए एक बैल पर लटकने की कोशिश करता है।
- एक बैल को छोड़ा जाता है और प्रतिभागी उस पशु को नियंत्रण में करने के लिए प्रयास करते है।
- एक टीम के लिए एक 50 फुट की रस्सी से बैल को बांध कर एक निर्धारित समय के भीतर इसे वश में करना होता है।
घटनाओं का समय
- 2006 में मद्रास हाई कोर्ट ने जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध लगा दिया।
- मार्च 2007 में तमिलनाडु सरकार ने प्रतिबंध को पलट दिया जिसे चार महीनों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फिर लगाया।
- जनवरी 2008 में सुप्रीम कोर्ट ने पोंगल समारोह के एक भाग के रूप में इस खेल की अनुमति दी।
- 2009 से 2011 तक, के बाद राज्य सरकार ने खेल को विनियमित करने के लिए कानून पारित किया और देखरेख के अंतर्गत इसे अनुमति दी गई थी।
- भारत के सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध लगा दिया था लेकिन जनवरी 2016 में केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर जल्लीकट्टू और बैलगाड़ी दौड़ के प्रदर्शन के लिए प्रदर्शनी और बैल के उपयोग की अनुमति दे दी।
- भारत के सुप्रीम कोर्ट ने अदालत के फैसले पर प्रतिबंध लगाने के बावजूद जल्लीकट्टू को अनुमति देने के लिए 7 जनवरी को अधिसूचना जारी करने पर केंद्र सरकार की खिंचाई की है। अदालत ने 12 जनवरी को सरकार की अधिसूचना पर रोक लगा दी थी।
हम कहानी के दोनों पक्षों पर एक नजर डालते है
जल्लीकट्टू के पक्ष में
- जब मनुष्य दौड़ कर सकते हैं तो बैल क्यों नहीं ?
- सांस्कृतिक विरासत के नाम पर स्पेन ने भी सांड की लड़ाई के खेल की अनुमति दी है।
- खेल द्वारा जैव विविधता को बनाए रखने की क्षमता के बारे में सुप्रीम कोर्ट को समझाने के लिए महाभारत से लिए किस्से आगे रखे गये।
- यह स्वदेशी बैल के प्रजनन को प्रोत्साहित करता है।
- यह एक प्राचीन परंपरा अनादिकाल से प्रथा में है तथा मनोरंजन के लिए सिर्फ एक खेल मात्र नही है।
- यह प्रतिबंध दक्षिण भारत में लाखों लोगों की आजीविका और जीवन के मौलिक अधिकार को प्रभावित कर सकता हैं।
- वहाँ बैलो के लिए पर्याप्त निगरानी करने वाले हैं।
- यदि प्रतिबंध लगा तो बैलो की बलि हो जाएगी।यह खेल कृषकों और उनके पशुओं के बीच एक करीबी रिश्ते का एक प्रतीक है।
- मनुष्य किसी भी हथियारों के बिना दौड़ में भाग लेते हैं जबकि बैल तेज सींग के साथ जोकी एक व्यक्ति को तुरंत मार सकते हैं।इसका मतलब यह है कि बैल मनुष्य के लिए चोट के कारण में अधिक सक्षम है जबकि मनुष्य नही।
जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध लगाने के पक्ष में
- यह एक क्रूर खेल है और जानवरों के प्रति क्रूरता कानून द्वारा निषिद्ध है।
- सिर्फ मानव मनोरंजन के लिए बैलो को पीड़ित नहीं किया जा सकता है।
- मनुष्य अपने स्वतंत्र इच्छा के साथ दौड़ में दौड़ता है लेकिन बैल को भाग लेने के लिए मजबूर करते है और इस अनावश्यक दर्द से उसे पीड़ा ग्रस्त करते हैं।
- बैल को एक ऐसे पशु के रूप में वर्गीकृत किया गया है जिसका मतलब वह दौड़ने के लिए नहीं बल्कि शांति से चलने के लिए होता है।
- तो क्या हुआ अगर यह एक सदियों पुरानी परंपरा है, यहां तक कि बाल विवाह भी एक प्राचीन परंपरा थी जब तक इसे एक अपराध घोषित किया गया था।
- बैल लड़ाई के दौरान यहाँ तक कि इंसान भी मारे गए हैं और कई घायल हुए।
- भारत के संविधान में अनुच्छेद 51-ए नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों की बात करता है,7 वां मौलिक कर्तव्य हमें जीवित प्राणियों के लिए दया को बाध्य करता है।
- पर्यावरण में पशुओं सहित किसी भी प्रकार का विघ्न जो मानव जीवन के लिए आवश्यक माने जाते है पर निषेध द्वारा सुप्रीम कोर्ट ने भी अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) के दायरे का विस्तार किया था।