- फ़िरौती वसूलने वाले रैनसमवेयर वायरस वानाक्राई ने दुनिया भर में दो लाख से ज़्यादा कम्प्यूटरों को अपना शिकार बनाया है.
- ये वायरस किसी नेटवर्क में दाखिल होने के बाद कम्प्यूटरों की फ़ाइल को बिना आपकी मंज़ूरी के लॉक कर देता है और फिर इसे अनलॉक करने के लिए टारगेट से फ़िरौती मांगी जाती है.
- फ़िरौती की रकम ई-वॉलेट्स में वर्चुअल करेंसी के रूप में मांगी जा रही है.
- और मीडिया रिपोर्टों में इस वर्चुअल करेंसी के तौर पर बिटकॉयन का नाम लिया जा रहा है.
क्या है बिटकॉयन
- बिटकॉयन एक वर्चुअल मुद्रा है जिस पर कोई सरकारी नियंत्रण नहीं हैं.
- इस मुद्रा को किसी बैंक ने जारी नहीं किया है.
- चूंकि ये किसी देश की मुद्रा नहीं है इसलिए इस पर कोई टैक्स नहीं लगता है.
- बिटकॉयन पूरी तरह से एक गुप्त करेंसी है और इसे सरकार से छुपाकर रखा जा सकता है.
- साथ ही इसे दुनिया में कहीं भी सीधा ख़रीदा या बेचा जा सकता है.
- शुरुआत में कंप्यूटर पर बेहद जटिल कार्यों के बदले ये क्रिप्टो करेंसी कमाई जाती थी.
- चूंकि ये करेंसी सिर्फ़ कोड में होती है इसलिए न इसे ज़ब्त किया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है.
- एक अनुमान के मुताबिक इस समय क़रीब डेढ़ करोड़ बिटकॉयन प्रचलन में है.
- बिटकॉयन ख़रीदने के लिए यूज़र को पता रजिस्टर करना होता है.
- ये पता 27-34 अक्षरों या अंकों के कोड में होता है और वर्चुअल पते की तरह काम करता है. इसी पर बिटकॉयन भेजे जाते हैं.
- इन वर्चुअल पतों का कोई रजिस्टर नहीं होता है ऐसे में बिटकॉयन रखने वाले लोग अपनी पहचान गुप्त रख सकते हैं.
- ये पता बिटकॉयन वॉलेट में स्टोर किया जाता है जिनमें बिटकॉयन रखे जाते हैं.
- वर्चुअल करेंसी बिटकॉयन की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसी साल मार्च में इसकी कीमत पहली बार एक आउंस सोने की कीमत से ज़्यादा हो गई थी.
- दो मार्च को अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में एक बिटक्वायन 1268 डॉलर पर बंद हुआ था, जबकि एक आउंस सोने की क़ीमत 1233 डॉलर पर थी.
- हालांकि कई विशेषज्ञों ने इस वर्चुअल करेंसी के भविष्य पर भी सवाल उठाए हैं.
Source: bbc