Takeaways from the Heart of Asia Conference in Hindi

Sandarbha Desk
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Source:TheIndianExpress
  • 2011 में शुरू किये गए हार्ट ऑफ़ एशिया सम्मेलन (Heart of Asia Conference) में 14 सदस्य और संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों सहित 17 पर्यवेक्षक है।
  • इसके निर्माण के पीछे एक प्रमुख कारण अफगान संकट को अंत करने में मदद करने के लिए क्षेत्रीय देशों को शामिल करना था ।
  • 3 और 4 दिसंबर, 2016 को अमृतसर, भारत में हार्ट ऑफ़ एशिया शिखर सम्मेलन के 6वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन को आयोजित किया गया था।
  • अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बैठक का उद्घाटन किया गया तथा अरुण जेटली, भारतीय वित्त मंत्री और सलाहुद्दीन रब्बानी अफगानिस्तान के विदेश मंत्री ने सह-अध्यक्षता की।
  • प्रमुख चुनौतीयो की पहचान में आतंकवाद, विशेष रूप से राज्य प्रायोजित आतंकवाद के रूप में हुई और सदस्यों के आतंकवाद के सभी प्रकार को नष्ट करने के लिए एक ठोस प्रयास पर सहमति हुई।
  • क्षेत्रीय बैठक में सर्वसम्मति से पाकिस्तान में आतंकवादी समूहों के नाम उठे और इन पर कार्रवाई के लिए कहा गया।

अफगान राष्ट्रपति का संक्षिप्त में भाषण

  • अफगानिस्तान के राष्ट्रपति गनी ने बुनियादी ढांचे के निर्माण और सहायता के साथ उनके देश की मदद करने के लिए भारत का आभार व्यक्त किया।
  • उन्होंने कहा कि भारत के बिना शर्त समर्थन से इस देश को अपने पैरों पर खड़े होने में मदद मिलेगी।
  • उन्होंने कहा कि भारत की मदद पारदर्शी है और इसमें कोई तार नही जुड़ा है और चाबहार बंदरगाह अफगानिस्तान के परिवर्तन के लिए एक बड़ा कदम है और उन्होंने इसके पहल के लिए मोदीजी को धन्यवाद दिया ।
  • उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान को गंभीर आतंकी खतरों का सामना करना पड़ रहा है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित किये गये करीब 30 आतंकवादी समूह अफगानिस्तान में एक आधार स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं।

मोदीजी का भाषण, संक्षिप्त में

  • पाकिस्तान को दिए एक स्पष्ट संदेश में प्रधानमंत्री मोदी के अनुसार, वे न सिर्फ आतंकवाद की ताकतों के खिलाफ है बल्कि ऐसे भी लोगो के खिलाफ है जो उन्हें समर्थन, आश्रय, ट्रेनिंग और उन्हें वित्त प्रदान करते है।
  • उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान और हमारे क्षेत्र में आतंकवाद के खिलाफ चुप्पी और निष्क्रियता केवल आतंकवादियों और उनके आकाओं को प्रोत्साहित करेगा।
  • अफगानिस्तान के विकास और मानवीय जरूरतों के लिए भारत के सामग्री सहायता के द्विपक्षीय और क्षेत्रीय प्रतिबद्धताओं को जारी रखने की जरूरतों और उन्हें बढ़ाने के तथ्यो पर उन्होंने बल दिया है ।
  • प्रधानमंत्री ने कहा कि, आतंकवाद के नेटवर्क जो भय के प्रसार तथा रक्तपात के कारण है उन्हें हराने के लिए मजबूत और सामूहिक इच्छाशक्ति प्रदर्शित करने की जरूरत थी ।
  • उन्होंने देश में स्थिरता लाने के लिए एक अफगान के नेतृत्व वाली, अफगान के स्वामित्व वाली और अफगान द्वारा नियंत्रित एक शांति प्रक्रिया का आह्वान किया।

आतंकवाद के खिलाफ हार्ट ऑफ़ एशिया सम्मेलन

  • अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने पाकिस्तान को फटकारा तथा तालिबान सहित आतंकी गुटों को समर्थन और सुरक्षित अभयारण्यों को प्रदान करके अपने देश के खिलाफ एक “अघोषित युद्ध ‘शुरू करने का आरोप भी लगाया
  • अमृतसर में हुए हार्ट ऑफ़ एशिया सम्मेलन (Heart of Asia Conference) में आतंक चर्चा का केंद्र था जिसमे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने भाग लिया था ।
  • जबकि अधिकांश देश आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए खड़े थे, कुछ ने कहा कि भारत और पाकिस्तान को अफगानिस्तान की मदद करने के लिए हाथ मिला लेना चाहिए।
  • हार्ट ऑफ़ एशिया सम्मेलन में पहली बार पाकिस्तान में स्थित हक्कानी नेटवर्क सहित लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी समूहों को चिन्हित किया गया जो न केवल भारत के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए खतरा है।
  • अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंक संचालन को सत्यापित करने के लिए एक एशियाई या अंतरराष्ट्रीय शासन की मांग की।
  • वास्तव में, उन्होंने इस तरह के हमलों में वृद्धि की वास्तविकता को सत्यापित करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय तंत्र की स्थापना का आह्वान किया।
  • उन्होंने पाकिस्तान की विदेश नीति के सलाहकार सरताज अजीज, जो अपने देश के प्रतिनिधि के रूप में पहले से ही अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण के लिए 500$ मिलियन का वादा कर चुके थे उन्हें शर्मिंदा किया।
  • घोषणाओं में तालिबान इस्लामिक स्टेट / DAESH और उसके सहयोगी संगठनों, हक्कानी नेटवर्क, अल कायदा, उज़्बेकिस्तान के इस्लामी आंदोलन, ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, टीटीपी, जमात-उल-अहरार , जंदुल्लाह और अन्य विदेशी आतंकवादी सेनानियों को नामित किया।
  • तालिबान के एक नेता के हवाले से अफगानिस्तान के राष्ट्रपति ने कहा, “जैसा कि मुल्ला रहमतुल्ला काकाज़ाद जो तालिबान आंदोलनो में से एक प्रमुख ने कहा कि अगर वो पाकिस्तान के अभयारण्य में नहीं रहे तो वे एक महीने तक भी नहीं चलेंगे।”

विकास

  • भारत ने अफगानिस्तान के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए और उसके बाद के सामाजिक-आर्थिक एजेंडो में ईंधन स्वरूप $ 1 अरब की वित्तीय सहायता प्रदान किया।
  • भारत और अफगानिस्तान के मध्य द्विपक्षीय बैठक मे हवाईं गलियारे के लिए एक रूपरेखा पर सहमति हुई है, जिससे दोनों देशों के बीच के व्यापार को बढ़ावा देने की संभावना है।
  • अफगानिस्तान अपने विदेशी व्यापार के लिए कराची के पाकिस्तानी बंदरगाह पर निर्भर है। इसने  पाकिस्तान के थलचर माध्यम से माल की एक सीमित मात्रा को भारत में भेजने के लिए अनुमति दी है, लेकिन भारत से इस मार्ग के द्वारा आयात की अनुमति नहीं है।
  • सम्मेलन के लिए आयोजन स्थल के रूप में अमृतसर की भारत की पसंद इस कनेक्टिविटी और तथ्यो को फ़िलहाल रेखांकित करने के लिए था, यह भारत और अफगानिस्तान के बीच के व्यापार को थलचर पहुँच देने के लिए पाकिस्तान के इनकार की वजह से अनुपयोगी है।

निष्कर्ष और भविष्य में चिंताएं

  • यह स्पष्ट है कि भारत अब अफगानिस्तान के साथ अपने संबंधों को लेकर संकोची नहीं है और एक महत्वपूर्ण धुरी के रूप में मध्य एशियाई देश के रूप में उसे देखता है।
  • जाहिर है, भारतीय प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान को फटकारने के लिए हार्ट ऑफ़ एशिया सम्मेलन का उपयोग करने की कोशिश उसी तरह की जैसे की कुछ महीने पहले गोवा में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया था
  • इस्लामाबाद को बदनाम करने के लिए, दूसरों को इसे एक ‘आतंकवाद के गुरुत्वाकर्षण का केंद्र’ के रूप में देखने के लिए तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे अलग करने के लिए यह उनके नीति का हिस्सा है।
  • भारतीय प्रधानमंत्री ब्रिक्स में अपने प्रयास में शायद सफल नहीं हो सके लेकिन अमृतसर सम्मेलन में उन्होंने अफगान राष्ट्रपति के रूप में एक मजबूत सहयोगी मिल गया।
  • भारत को अफगानिस्तान के साथ संबंधों में सुधार लाने पर अधिक गंभीरता से काम करने की जरूरत है।
  • यह सच है कि पुलों का निर्माण ही पाकिस्तान की एकमात्र जिम्मेदारी नहीं है, लेकिन हमारे विशुद्ध रूप से सुरक्षा-आधारित चश्मे से अफगानिस्तान को देखने की हमारी नीति की समीक्षा करने की जरूरत है।
  • तालिबान विद्रोह पाकिस्तान के लिए जितना खतरनाक है उतना ही यह अफगानिस्तान के लिए भी है। हालांकि, अफगानिस्तान में सब कुछ बुरा होने के लिए पाकिस्तान को दोषी ठहराने के काबुल के अपने दृष्टिकोण को भी बदलने की आवश्यकता है।
  • गौरतलब है कि चीन जोकि समूहीकरण का एक सदस्य है जिसने पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों के लिए अन्य मंचों पर भारत के प्रयासों को अवरुद्ध किया वह भी HOA घोषणा का हिस्सा था।
  • संयुक्त राष्ट्र, जहां एक आतंकवादी के रूप में अजहर को नामित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के खिलाफ उसका वीटो  इसी महीने समाप्त हो रहा है इसलिए जैश प्रमुख मौलाना मसूद अजहर पर चीन की स्थिति पर बारीकी से नजर रखी जाएगी।
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