कोटा केंद्र में 24 प्रकार के खट्टे फलों का उत्पादन किया गया

Sandarbha Desk
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  • राजस्थान में कोटा के निकट नंता में साइट्रस फलों के लिए उत्कृष्टता केंद्र में 24 नए किस्मों के संतरे और खट्टे फलों का विकास किया जा रहा है।
  • 2014-15 में शुरू की गई इस परियोजना ने हर साल 50,000 पौधों के उपरोपण में मदद की है।
  • केंद्र में विकसित प्रसिद्ध खट्टे फलो की किस्मों में क्लेमेंटाइन, मीकल डेजी, किन्नो, नागपुर मंडारिन, नागपुर सीडलेस और जाफा हैं।
  • 6.8 हेक्टेयर तक फैला यह राज्य का अत्याधुनिक केंद्र निर्यात के लिए भी फलों की आपूर्ति करता है।
  • इस केंद्र में अपनाई गई तकनीको जैसे- सिंचाई के लिए गीली घास, ड्रिप और रिज बेड सिस्टम, इजरायली वैज्ञानिक इनपुट पर आधारित है।

Read in English: 24 varieties of citrus fruits developed at Kota centre

सिंचाई प्रबंधन

  • केंद्र ने बड़े पैमाने पर बीमारी मुक्त और उच्च गुणवत्ता वाले रोपण सामग्री के उत्पादन के उद्देश्यो को काफी हद तक हासिल कर लिया है।
  • बागान के संचालन में मशीनीकरण के प्रचार के अलावा केंद्र का लक्ष्य फसल और मूल्यवर्धन प्रौद्योगिकी के बारे में जागरूकता फैलाना तथा सिंचाई प्रबंधन तकनीकों का विकास करना है।
  • ग्लोबल राजस्थान एग्रीटेक मीट (GRAM) की शुरुआत 24 मई, 2017 को कोटा में की गयी जिसमे निवेशकों द्वारा फसल पश्चात प्रसंस्करण परियोजनाओ के छानबीन की संभावना है।
  • इस इवेंट में केंद्र द्वारा इस क्षेत्र के खट्टे फल उद्योग पर अपनी सेवाओं के ध्यान देने की संभावना है।
  • कृषि विभाग केंद्र के उत्पाद को “राज संतरा” के रूप में विपणन करने पर विचार कर रहा है।
  • चूंकि कोटा में झालावार जिला राज्य में संतरे का सबसे बड़ा उत्पादक है इसलिए स्थानीय स्तर पर उत्पादित फलों के पैकेजिंग और ब्रांडिंग परिचालन के लिए यह एक विशाल अवसर है।
  • केंद्र में पौधे के कलम करने की एक प्राथमिक नर्सरी है तथा नवोदितो के लिए एक दूसरी नर्सरी तथा माँ पौधों को पोषण करने के लिए एक संरक्षित माँ ब्लॉक है।
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