ब्रिक्स शिखर सम्मेलन-एक उज्ज्वल भविष्य के लिए मजबूत साझेदारी

Sandarbha Desk
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3-5 सितम्बर 2017 को ज़ियामेन, चीन में तीन दिवसीय, 9वें ब्रिक्स सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें मेजबान देश चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग,भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन, ब्राज़ील के राष्ट्रपति मिशेल टेमर एवं दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा ने भाग लिया। मिस्र,केन्या,तजाकिस्तान, मेक्सिको एवं थाई लैंड ने विशेष रूप से आमंत्रित राष्ट्रों के रूप में भाग लिया।

प्रमुख बिंदु

  • आर्थिक और व्यापार सहयोग पर ब्रिक्स एक्शन एजेंडा।
  • नवाचार सहयोग (2017-2020) के लिए ब्रिक्स एक्शन प्लान।
  • ब्रिक्स सीमा शुल्क सहयोग की कूटनीतिक संरचना।
  • ब्रिक्स बिज़नेस कॉउंसिल और नई डेवेलपमेंट बैंक(NDB) के बीच समझौता ज्ञापन।
  • ब्रिक्स देशों ने ‛ज़ियामेन घोषणा-पत्र’ में बढ़ते वैश्विक आतंकवाद के प्रति चिंता व्यक्त की।
  • इस घोषणा पत्र में पाकिस्तान का नाम लिए बिना पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी गुटो एवं संगठनों को क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए दोषी ठहराया।
  • तालिबान, ISIS एवम अल कायदा को वैश्विक स्तर पर आतंकवाद एवम कट्टरता फैलाने का जिम्मेदार ठहराया, यह प्रथम बार है कि ब्रिक्स घोषणा पत्र में किसी आतंकी गुट का नाम सम्मिलित किया गया हो।

India’s World- How effective is BRICS?

ब्रिक्स समूह

  • ब्रिक्स विश्व की पांच उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओ नामतः ब्राज़ील,रूस,भारत,चीन और दक्षिण अफ्रीका का समूह है, 2010 में इसमें दक्षिण अफ्रीका को शामिल किया गया।
  • ब्रिक्स देशों में विश्व की 42% आबादी निवास करती है तथा विश्व के सकल घरेलू उत्पाद में 23% और विश्व व्यापार में 17% कई हिस्सेदारी रखते है।

ब्रिक्स समूह का एजेंडा

  • मूलरूप से इसका गठन वैश्विक अर्थव्यवस्था एवम वित्तीय प्रशासन में सुधार लाने के उद्देश्य से किया गया था।
  • उल्लेखनीय है कि वर्तमान समय में विश्व अर्थव्यवस्था पर अमेरिका और पश्चिमी देशों का प्रभाव अधिक है तथा यही देश विश्व बैंक,अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व व्यापार संगठन एवम संयुक्त राष्ट्र संघ जैसे संगठनों में नीति-निर्माण में निर्णायक भूमिका निभाते है।
  • ब्रिक्स देशों का प्रयास है कि इन संस्थाओं का लोकतांत्रीकरण किया जाए जिससे विकास शील देशो का इसमें अधिक से अधिक भागीदारी सुनिश्चित की जा सके।
  • पिछले कुछ वर्षों में अर्थव्यवस्था से इतर अन्य वैश्विक मुद्दे जैसे जलवायु परिवर्तन, वैश्विक आतंकवाद, शिक्षा और स्वास्थ्य, महिलाओं का सशक्तिकरण, ड्रग्स तस्करी आदि को भी उठाया था।
  • ब्रिक्स समूह ने आने विचार-विमर्श के क्षेत्र का व्यापक विस्तार करते हुए स्वयं को विकास शील देशो के एक वैश्विक मंच के रूप में विस्थापित कर रहा है ।
  • कुछ विशेषज्ञयो के अनुसार गैर वित्तीय मामलों को शामिल करने से वैश्विक अर्थव्यवस्था एवं वित्तीय प्रशासन के मूल मुद्दे से भटकने की संभावना बनेगी जो समूह के लिए हितकारी नही होगी।

International Organizations Involving India- A Detailed List

ब्रिक्स देशों की समस्याये

  • ब्रिक्स देशों के द्विपक्षीय संबंध मुख्यतः गैर- हस्तक्षेप, समानता और पारस्परिक लाभ पर आधारित है किंतु विभिन्न आंतरिक और बाह्य समस्यायों के कारण इस साझेदारी का भविष्य संदेह के घेरे में आ रहा है।
  • ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका के आंतरिक अस्थिरता का वातावरण एवं यूक्रेन और सीरिया में हस्तक्षेप के कारण अमेरिकी प्रतिबंधों एवं अर्थव्यवस्था में मंदी का सामना करना पड़ रहा है।
  • पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर चीन द्वारा समर्थन, हिन्द महासागर में मोतियों की माला के माध्यम से घेरने की योजना एवं हाल ही में उपजे डोकलां विवाद के चलते चीन- भारत के मध्य सैन्य तनाव पैदा हुए जिससे ये दोनों राष्ट्र एक दूसरे के प्रति संदेह की दृष्टि रखते है।

निष्कर्ष

  • ब्रिक्स देशों को अपना ध्यान वैश्विक अर्थव्यवस्था एवं वित्तीय प्रशासन के मूल मुद्दे पर ही केंद्रित रखना चाहिए तथा आंतरिक एवं बाह्य दोनों प्रकार के मोर्चो में मिलने वाली चुनौतियों पर नियंत्रण करना चाहिये।
  • आर्थिक विकास एवं वित्तीय प्रशासन के लिए ब्रिक्स को समर्पित एक संगठनात्मक ढांचे का निर्माण करना चाहिए तभी वैश्विक अर्थव्यवस्था एवं वित्तीय प्रशासन के मुद्दे पर ब्रिक्स देशों द्वारा एकजुट कार्रवाई संभव होगी।

India-China Relations: “A Zero Sum Game?”

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